हम सदियों से पढ़ते और सुनते आ रहे हैं कि डॉक्टर भगवान का रूप होता है, फिर क्यों आज इस भगवान के रूप पर हमारी नजरे तिरछी हो रहीं हैं। नि:संदेह कोरोना जैसी महामारी के समय में भी डॉक्टर अपने सीमित संसाधनों के बल पर दिन-रात एक करके अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की जान बचाने में जुटे हुए हैं फिर भी समाज का एक वर्ग इनको शक की निगाहों से देख रहा है और इनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहा है।
भारतीय समाज की तारीफ का सिलसिला सदियों से चलता आ रहा है लेकिन इस समाज की असलियत के पीछे छिपा हुआ है क्रूरतम चेहरा। जिसकी बानगी हमें आज आसानी से देखने को मिल रही है। हमारा समाज इतना क्रूर भी हो सकता है ऐसी कल्पना हम लोगों ने सपने में भी नहीं की होगी।
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था, ‘समाज की सेवा करने का अवसर हमें अपना ऋण चुकाने का मौका देता है।’ लेकिन वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए प्रधानमंत्री का यह कथन हमारे समाज को ही रास नहीं आ रहा है। पता नहीं क्यों!
आज भारत सहित पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से युद्ध स्तर पर लड़ रहा है। इस जंग में देश के डॉक्टर्स सैनिक की भूमिका निभा रहे हैं। ये वही डॉक्टर्स हैं जो अपने परिवार से दूर रहकर दिन-रात काम कर रहे हैं। आज सारे देश को बचाने की जिम्मेदारी हमारे डॉक्टर्स के कंधों पर हैं लेकिन अफसोस कि हमारे देश में डॉक्टर्स के साथ बदसलूकी की जा रही है, उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।
कहीं उन पर पत्थर फेंके जा रहे हैं तो कहीं उनको गालियां दी जा रही हैं। कहीं उन्हें सडक़ों पर ही पीटा जा रहा है तो कहीं पुलिस द्वारा उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। एक तरफ जहां हमारे डॉक्टर्स कोरोना जैसी भयंकर बीमारी में भी सीमित पीपीई किट में ही अपना कर्तव्य निभा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिस मकान में हमारे डॉक्टर्स किराए में रहते हैं वहां से उन्हें मकान मालिक द्वारा निकाला जा रहा है।
अब तो कई जगह लोग डॉक्टर्स को कोरोना वाहक के रूप में शक की निगाहों से भी देखने लगे हैं। आज डॉक्टर्स को लेकर लगातार मीडिया रिपोट्र्स के माध्यम से हमें ऐसी तस्वीरें और खबरें देखने को मिल रही हैं जिन्हें देखकर पहले तो विश्वास ही नहीं होता है मगर हम हकीकत से कितना भी भाग लें एक ना एक दिन हमें उसे स्वीकार करना ही होता है।
जो समाज अपने बेटे, बेटियों को डॉक्टर्स बनाने के सपने देखता है, डॉक्टर्स को भगवान का रूप देता है, आज वही समाज उनके साथ स्वार्थी लोगों जैसा व्यवहार करने पर उतारू है। शायद यही इस समाज की हकीकत है।